कौन सुनेगा किसको सुनाये इसीलिए चुप रहते है.
हमसे अपने रूठ न जाये इसीलिए चुप रहते है.
मेरी सूरत देखने वालो मई भी एक आईना था।
टुटा जब ये सिसये दिल सावन का महिना था।।
तुकडे दिल के किसको दिखाए इसीलिए चुप रहते है.
प्यार के फुल चुने थे हमने खुसी की सेज सजाने को।
पताघाद बनके आई बहरे घरमे आग लगाने को।।
आग में गम के जल न जाये इसीलिए चुप रहते है.
कौन सुनेगा किसको सुनाये इसीलिए चुप रहते है.
हमसे अपने रूठ न जाये इसीलिए चुप रहते है.
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